बिवश बिप्र – मान्छे – सगरमाथाको परिधी भित्र – १
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सगरमाथा र मान्छे !!
धरहरा —–एक मुर्त मान्छे !!
मानिस —एक अमुर्त मान्छे !!
स्वाभिमान—– आँखा चिम्म गर !!
…उफ्फ्फ…
———यो कल्पनाशिलता पनि
एक लहर आधारको !!
पानी—एक अवयब हावाको !!
हावा—–पानीको !!
टाउको—–एक धर्ती !!
कपाल—निकम्मा सन्तान !
————देख्यौ…..
—————-नङ फुलेको !!
————————-ढुक्क बन,
——————————–तिम्रो आङ्ग पुरिदै छ!!