भानुभक्त पोखरेल – नर- वीरको आरती
(मधुपर्क माघ, २०६७)
धृति-शक्ति-समुज्ज्वल संसृति-हीर
वातोद्वेलित सागर-नीर
किञ्चन पत्थर-गेगर-लहरे
स्वल्प समाविल उत्तर खहरे
ईषदस्थिर-सुस्थिर, धीर-अधीर
विश्वविभावन Continue reading “Bhanubhakta Pokharel – Nara Bir Ko Aarati”